November 5, 2011

शौक़-ए-शायरी

इन गेसुओ की काली घटा बन गयी है रोशनी मेरी
मदहोश अदा तेरी बन गयी है बेखुदी मेरी
तहय्युर-ए-हुस्न मे न आते थे लब्ज जबाँ पे,तेरे मिलने से पहले 
शौक़-ए-शायरी बन गयी है अब जिंदगी मेरी

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