November 4, 2011

चुनावी चौपाइयां


दंगल की घड़ी अन्तिम  आई , नेताओं ने रार मचाई |
मतदाता ने मौन है धारा, नेता चाहे वोट तुम्हारा  |
नागनाथ कोई साँप नाथ है , कोई फूल तो कोई हाथ है |
बैठ हाथी पर कुछ धाये, कोई कहीं साइकिल ही चलाये |
दल दल से हैं दूर कुछ नेता , वे निर्दलीय कहाते नेता |
चिह्न नगाडा सूरज तारा , वे भी मांगे वोट तुम्हारा |
इक दूजे पर पंक उछालें , अपनी गलती स्वयं दबा ले |
वादे नित नए रोज सुनाएँ, अपनी ढपली राग बजाएं |
मतदाता राजा बन घूमे, प्रत्याशी क़दमों को चूमे |
है वो सिकंदर जो है जीता ,हारा हुआ गम अश्क है पीता |
जीते जो घर बजे नगाडा , कितु वोटर सदा ही हारा  |

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