तुम्हारी एक खामोश नज़र ने
तुम्हारे बरसों से धारण किये हुये
धेर्य को
तुम्हारी प्रतीक्षा करने की शक्ति को
सलाम है तुम्हारी इस भक्ति को
जिसने पत्थर को पिघला दिया
जो दिन मुझे नही देखना था
वो दिन भी दिखला दिया
जो सहन नहीं कर सकती थी
उसे सहना सिखा दिया
जो बहना मुश्किल था
उसे निर्झर बना बहा दिया़
अनवरत अहर्निश,सच कहूँ ?
लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
महसुस हो गया है
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
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