November 4, 2011

महसुस हो गया है


तुम्हारी एक खामोश नज़र ने 
मुझे दिखा दिये
तुम्हारे बरसों से धारण किये हुये
धेर्य को 
तुम्हारी प्रतीक्षा करने की शक्ति को 
सलाम है तुम्हारी इस भक्ति को
जिसने पत्थर को पिघला दिया 
जो दिन मुझे नही देखना था
वो दिन भी दिखला दिया
जो सहन नहीं कर सकती थी
उसे सहना सिखा दिया
जो बहना मुश्किल था
उसे निर्झर बना बहा दिया़ 
अनवरत अहर्निश,सच कहूँ ?
लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही 
बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
महसुस  हो गया है 
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

No comments:

Post a Comment