रिमझिम रिमझिम बारिस आती,
मन को कितनी ठंडक लाती.
मुरझाये पत्ते हरियाते,
उपवन में पौधे लहराते.
उपवन में पौधे लहराते.
होजाती जीवंत प्रकृति है,
जब काले बादल छा जाते.
जंगल में है मोर नाचता,
भालू अपना ढोल बजाता.
कोयल मीठा गीत सुनाती,
हाथी भी है तान मिलाता.
आओ हम बारिस में भीगें,
झूलों पर लें ऊंची पींगें.
झूलों पर लें ऊंची पींगें.
डर कर खड़े हुए क्यों अंदर,
वैसे भरते इतनी डींगें.
वर्षा गर्मी से है राहत लायी,
हर मन में खुशियाँ हैं छायी.
नया नया सा है सब लगता,
जैसे प्रकृति नहा कर आयी.
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