November 4, 2011

आदर्श जमाना

बराक ओबामा आये 
मुस्कुराये , हात मिलाया 
सपत्नी सकुशल चले गए 
आदर्श के पुतले 
अभी यहाँ जिन्दा हे 
कारगिल के शहीद शर्मिंदा हे 
सारे ज़माने का थूका 
हम चाट गए 
लोकतंत्र के शेर 
पानी पीने नए घाट गए 
भांड अब इन्साफ कर रहे हैं 
गनीमत हे सिर्फ शादी दिखाई 
सुना हे इसमें भी टी आर पी का चक्कर हे 
नगर वधुँ के लिए television नया अवसर हे 
नयी दिशा , नया जमाना , नित नए पहनो , 
जो दिखेगा वो ही बिकेगा 
ये तो अब ग्लोबल नारा हे 
भारत अब खुल गया हे 
ओबामा जी फिर से आयेगा 
उधार जो वसूलना हे ..........................

No comments:

Post a Comment