November 8, 2011

माँ-बाप को भूलना नहीं

भूलो सभी को मगर, माँ-बाप को भूलना नहीं।


उपकार अगणित हैं उनके, इस बात को भूलना नहीं।।


पत्थर पूजे कई तुम्हारे, जन्म के खातिर अरे।


पत्थर बन माँ-बाप का, दिल कभी कुचलना नहीं।।


मुख का निवाला दे अरे, जिनने तुम्हें बड़ा किया।


अमृत पिलाया तुमको जहर, उनको उगलना नहीं।।


कितने लड़ाए लाड़ सब, अरमान भी पूरे किये।


पूरे करो अरमान उनके, बात यह भूलना नहीं।।


लाखों कमाते हो भले, माँ-बाप से ज्यादा नहीं।


सेवा बिना सब राख है, मद में कभी फूलना नहीं।।


सन्तान से सेवा चाहो, सन्तान बन सेवा करो।


जैसी करनी वैसी भरनी, न्याय यह भूलना नहीं।।


सोकर स्वयं गीले में, सुलाया तुम्हें सूखी जगह।


माँ की अमीमय आँखों को, भूलकर कभी भिगोना नहीं।।


जिसने बिछाये फूल थे, हर दम तुम्हारी राहों में।


उस राहबर के राह के, कंटक कभी बनना नहीं।।


धन तो मिल जायेगा मगर, माँ-बाप क्या मिल पायेंगे?


पल पल पावन उन चरण की, चाह कभी भूलना नहीं।।

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