November 2, 2011

किसको खुदा और किसको तुम भगवान कहते हो ?


किसको खुदा और किसको तुम भगवान कहते हो ??
कभी हिन्दू तो कभी खुद को मुसलमान कहते हो 
जो कुछ बोलता नही उसे खुदा तो कभी तुम्ही भगवान कहते हो ?

जो खून से खेलता है उसे तुम हैवान कहते हो 
तो फिर किस वजेह से खुद को तुम इन्सान कहते हो ?

किसी पत्थर का कोई धर्म नही होता ,
चाहो शिव मान कर पूजा कर लो या फिर इसे मस्जिद के गुम्बद पे लगा दो ,

मरने के बाद किसी को स्वर्ग और जन्नत में भेजने वालों
क्यूँ कहते हो कि लाश को दफना दो या फिर आग लगा दो ?

खाने को तो कसमे खाई जाती हैं इमां के सौदे में भी तो 
आखिर किस ईमान को तुम मुकम्मल ईमान कहते हो ?

बे वजह कि उलझनों में उलझ के रहते हो खुद यहा 
और इसे धर्म के नाम पर दिया गया इम्तिहान कहते हो ,

जो खुद ही खुदा है और जो भगवान है खुद ही 
उसकी रखवाली में आखिर क्यूँ खुद को परेशान कहते हो ?

सरहदों में बाँटना है तो सर उठा के देख लो ऊपर 
और इसे बाँटो जिसे तुम आसमान कहते हो ,

एक दिन कहा था आकर के भगवान ने मुझसे ' ऐ राजीव' !
" उसे रोटी - कपडा दो जिसे तुम भूखा-नंगा इन्सान कहते हो .

बताओ प्रेम से " हिन्दू नही मुस्लिम नही बस इन्सान ही हो तुम " 
तो उस के लिए तो तुम्ही खुदा हो और भगवान ही हो तुम . ....

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