दो कच्चे धागों को
जोड़ कर आपस में
दिया जाता है जब वट
तो हो जाते हैं मजबूत ,
हल्के से तनाव से
नहीं जाते वे टूट ,
वैसे ही तुम और मैं
साल दर साल
वक़्त के साथ वट
लगाते लगाते
जुड़ चुके हैं इस कदर
कि आसान नहीं है
कोई भी परिस्थिति
तोड़ सके हमें ।
कुछ बात तो है --
कि एक दूसरे से
हैं शायद
ढेरों शिकवे - शिकायतें
फिर भी
एक - दूजे के बिना
लगता है अधूरापन ।
और इसी खयाल से
आज के दिन
तोहफे के रूप में
मैं तुम्हें देती हूँ
अपनी सारी संवेदनाएं ,
ख्वाहिशें और खुशियाँ ।
Posted by -Ankit Vijay at Faridabad at 8:00 pm
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