March 25, 2013

BURA NAA MAANO HOLI HAI

Holi Tyohar Hai Rang Aur Bhaang Ka
Hum Sab Yaaron Ka
Ghar Mein Aaye Mehmano Ka
Gali Mein Gali Walon Ka
Mohalle Mein Mahaul Waalon Ka
Desh Mein Deshwalon Ka
Bura Naa Maano Holi Hai, Holi Hai, Bhai Holi Hai…

March 17, 2013

कुछ तो ऐसा करें ज़माने में..


Sunday , 17 march 2013

कुछ तो ऐसा करें ज़माने में..

कुछ तो ऐसा करें ज़माने में
वक़्त लग जाए हमें भुलाने में
काम आसाँ नहीं चलो माना
हर्ज़ क्या है आज़माने में

अब कोई ताज नहीं बनाना है
न ख्यालों में कोई खज़ाना है
किसी भूले को रास्ता मिल जाए
लुत्फ़ है हंसने और हंसाने में

हर तरफ खुशियों की बहारे हों
चैन हो दिल में सुकून आँखों में
एक ऐसा जहाँ जो बन पाए
"दीप" अफ़सोस नहीं जलजाने में

कुछ तो ऐसा करें ज़माने में ....

posted by ankit vijay 

मिलती हो तुम बस ख्यालों में..


Sunday, march  17, 2013


मिलती हो तुम बस ख्यालों में..

मोहब्बत की होटों पे सुर्खी चढ़ाके
पलकों पे काजल शरम का लगाके
माथे पे चंदा की बिंदिया सजाके
मिलती हो तुम बस ख्यालों में आके

हर रोज़ दिल में सजाते हैं तुमको
और भी खूबसूरत बनाते हैं तुमको
तस्वीर दिल में में जो देखोगी अपनी
रह न सकोगी कहीं और जाके

उम्मीद में रात कितनी बिताएं
सवेरा कोई तो तुम्हे लेके आये
ख्वाइश मेरी "दीप" कहती है हमसे
जी भर के देखें तुमको बिठाके

हमें इस कदर यूँ दीवाना बनाके
क्यों मिलती हो तुम बस ख्यालों में आके..

दिल की सुनाते हैं ..

आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 
और एक बार वही वादे दुहराते हैं 

आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं...

देखे थे ख्वाब कभी मिलके जो हमने 
थोड़ी सी कोशिश और सच कर दिखाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

खुद की सुनने को आज वक़्त नहीं मिलता 
ज़िन्दगी की दौड़ में कुछ लम्हा ठहर जाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

बैठेंगे दो यार साथ कुछ तो करेंगे 
ख्वाइशों की लम्बी एक पर्ची बनाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

देखो जिधर गम की महफ़िल लगी है 
रोने वाले को चलो थोडा हंसाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

राह-ए-ज़िन्दगी में मिलते हैं कितने 
खास हैं वो नाम जो याद रह जाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

पत्थरों के घर की मियादें हैं छोटी 
लोगों के दिल को ठिकाना बनाते हैं 
आज दोस्त तुमको दिल की सुनाते हैं 

बीत गया लम्हा न आएगा फिर से 
पल भर की सही आज खुशियाँ मानते हैं 
आज "दीप"  तुमको दिल की सुनाते हैं 

शिवरात्रि के दिन...








कितना टेरता हूँ खटराग,
एक ही, एक सा, अनुदिन!
आलोड़ित इतिवृत्तों में,
कोंचता रहता हूँ,
प्रत्येक निःसृत विषण्णता।

निस्पृह होने-दिखने की,
निस्सीम स्पृहा दबाये अंतस में,
कूटता रहता हूँ विवोध।

फेंटता रहता हूँ आसव,
सुदूर प्रांतर से लाये,
स्निग्ध मृदुल पुष्पों का।

लिख देना चाहता हूँ उनसे,
अपने गढ़े संतोषी आख्यान।
असफलता को द्युतिसूत्र बता,
यत्न करता हूँ ठठाने का।

यह अहेतुक केलि देख,
अब तक शांति से मुस्काता,
चिर तेजस्वी बिल्व किसलय,
आज चंद्रमौलि हो जाता है।

कभी निष्कंप मैं भी,
चुपचाप झड सकूँ तो....

आयु भर आशीष




झुण्ड से छूटा, साथ से रूठा,
एक था बिचड़ा गिरा यहाँ।
गीति के नवजात शिशु को,
मरने देती क्षिति कहाँ।

पावस में घिर आते शत घन,
बाकि दिव सुथराई के कण।
धमनी-धमनी स्थान रुधिर के,
माँ का संचित नेह बहा।

सूर्य रश्मियाँ पुष्ट बनाती,
विधु की किरणे थीं दुलरातीं।
और मृदुल नभ के तारागण,
हर अठखेली पर मुस्काते।

तृण के नोक ललाट चूमते,
अलि धावन के बाद घूमते।
वल्लरियाँ थीं दीठ बचातीं,
गिरते पर्णों ने मीत कहा।

दिवस बीतते, रात बीतती,
शीतलता औ घाम बीतती।
बालक ने आशीष मान कर,
सबको दे सम्मान सहा।

बारी-बारी सब ऋतुओं ने,
भांति-भांति के पाठ सिखाये।
पराक्रमी कर्ष-मर्ष कौशल पर,
वानीर झुण्ड ने हाथ उठाये।

गभुआरे नन्हे कोमल तन,
को सालस थपकाती गन्धवह।
चीं-चीं मर्मर क्षिप्र ही गढ़ कर,
खग कीटों ने गीत कहा।

खेचर नित आशीष वारते,
गहते हाथ, औ मूंज बाँधते।
"रागों में तुम वीतराग हो!"
"हो अलोल!"- यह बोल उचारते।

मौलसिरी ने आसव छिडका,
नीप-तमाल ने नेह से झिड़का।
आम छोड़ के उतरी कोयल,
कान में गुपचुप प्रीत कहा।

नियति-नटी अपनी गति खेली,
सुभट शाख किंकिणियाँ फूलीं।
जिसने देखा वही अघाया,
"उत्तरीय तुम्हारा स्वर्ण!"- कहा।

कुछ बात तो है .....

दो कच्चे  धागों  को 
जोड़ कर आपस में 
दिया जाता है जब  वट
तो हो जाते हैं मजबूत , 
हल्के से तनाव से 
नहीं जाते वे टूट ,

वैसे ही तुम और मैं 
साल दर साल 
वक़्त के साथ वट 
लगाते लगाते 
जुड़ चुके हैं इस कदर 
कि आसान नहीं है 
कोई भी  परिस्थिति 
तोड़ सके हमें  ।

कुछ बात तो है --
कि एक दूसरे से 
हैं शायद 
ढेरों शिकवे - शिकायतें 
फिर भी 
एक - दूजे के बिना 
लगता है अधूरापन । 
और इसी खयाल से 
आज के दिन 
तोहफे के रूप में 
मैं तुम्हें देती हूँ 
अपनी सारी  संवेदनाएं , 
ख्वाहिशें और  खुशियाँ ।

Posted by -Ankit Vijay at Faridabad  at 8:00 pm